शब्द का अर्थ
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रमा :
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स्त्री० [सं०√रम्+णिच्+अच्+टाप्] लक्ष्मी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
रमा-कांत :
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पुं० [ष० त०] विष्णु। |
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रमाधव :
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पुं० [ष० त०] विष्णु। |
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रमा-नरेश :
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पुं० [हिं० रमा+नरेश=पति] विष्णु। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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रमाना :
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स० [हिं० रमना का स० रूप] १. रमण करना। २. अनुरंजित करना। अनुरक्त बनाना। मोहित करना। लुभाना। ३. अनुरक्त करके अपने अनुकूल बनाना। ४. अनुरक्त करके अपने पास रोक रखना। ५. किसी के साथ जोड़ना या लगाना। संयुक्त करना। जैसे—किसी काम में मन रमाना। ६. किसी काम या बात का अनुष्ठान आरंभ करना। जैसे—रास रमाना=रास की व्यवस्था करना। ७. अपने अंग या शरीर में पोतना या लगाना जैसे—शरीर में भभूत रमाना। |
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रमा-निवास :
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पुं० [हिं० रमा+निवास] लक्ष्मीपति विष्णु। |
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रमा-रमण :
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पुं० [ष० त०] विष्णु। |
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रमाली :
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पुं० [फा० रूमाली] एक तह का बढ़िया पतला चावल। |
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रमा-वीज :
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पुं० [ष० त०] एक प्रकार का तांत्रिक मंत्र जिसे लक्ष्मीबीज भी कहते हैं। |
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रमा-वेष्ट :
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पुं० [ष० त०] श्रीवास चंदन जिससे तारपीन नामक तेल निकलता है। |
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रमास :
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पुं० =रवाँस (फली और दाने)। |
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