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लटका  : पुं० [हिं० लटक] १. ऐसी चाल जिसमें मनोहर लटक हो। २. बात-चीत आदि में दिखाई देनेवाली जनानी चेष्टा या हाव-भाव और स्वरों का उतार-चढ़ाव। जैसे—उन्होंने बड़े लटके से कहा कि हम नहीं जायँगे। ३. उपचार, चिकित्सा, तंत्र-मंत्र आदि के क्षेत्र में कोई ऐसी छोटी प्रक्रिया या विधि जिसमें जल्दी और सहज में उद्देश्य सिद्ध होता हो। जैसे—उन्हें वैद्यक के ऐसे सैकड़ों लटके मालूम हैं। ४. एक प्रकार का चलता गाना। ५. अंडकोश। (बाजारू)।
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लटकाना  : स० [हिं० लटकना का स०] १. किसी को लटकाने में प्रवृत्त करना। ऐसा काम करना कि कोई या कुछ लटक। जैसे—कपड़ा या हाथ लटकाना। संयो० क्रि० देना।—रखना।—लना। २. किसी खड़ी वस्तु को किसी ओर झुकाना। नत करना। ३. कोई काम पूरा न करके अनिश्चित दशा में अधिक समय तक पड़ा रहने देना। ४. किसी व्यक्ति को कोई आशा में रखकर उसका उद्देश्य या कार्य पूरा न करना। असमंजस या दुविधा की स्थिति में रखना। संयो० क्रि०—रखना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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