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शब्द का अर्थ

लहक  : स्त्री० [हिं० लहकना] १. लहकने की क्रिया या भाव। २. आग की लपट। ३. चमक। ४. छबि। शोभा।
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लहकना  : अ० [सं० लता=हिलना-डोलना का अनु०] १. हवा में इधर-उधर हिलना। झोंके खाना। लहराना। २. हवा का झोंका आना। हवा कुछ जोर से चलना। उदाहरण—तीर ऐसे त्रिविध समीर लागे लहकन।—देव। ३. आग का प्रज्वलित होना। दहकना। संयो० क्रि०—उठना। ४. दे० ‘ललकना’।
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लहका  : पुं० =लचका (पतला गोटा)।
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लहकाना  : स० [हिं० लहकना] १. हवा में इधर-उधर हिलना-डुलना। झोका खाना। २. उत्तेजित करना। उकसाना। भड़काना। ३. प्रज्वलित करना। दहकाना। ४. लालसा से युक्त या उत्कंठित करना। संयो० क्रि०—देना।
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लहकारना  : स०=लहकाना।
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लहकौर  : स्त्री० [हिं० लहना+कौर (ग्रास)] १. विवाह की एक रस्म जिसमें वर कन्या के मुख में और कन्या-वर के मुख में ग्रास डालती हैं। २. उक्त अवसर पर गाये जानेवाले गीत ३. वर-वधू को कोहबर में खेलाये जानेवाले खेल।
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