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लिहाज  : पुं० [अ० लिहाज] १. व्यवहार या बरताव में किसी बात या व्यक्ति का आदरपूर्वक रखा जानेवाला ध्यान। जैसे—बड़ों का लिहाज करना सीखो। २. किसी बात का किसी रूप में रखा जानेवाला ध्यान। जैसे—(क) इस नुस्खे में खाँसी का भी लिहाज रखा गया है। (ख) मैने उसकी गरीबी का लिहाज करके उसे छोड़ दिया। ३. शील, संकोच आदि के विचार से रखा जानेवाला ध्यान। जैसे—काम-बिगड़ जाने पर वह किसी का लिहाज न करेगा, सबको निकाल देगा। ३. तरफदारी। पक्षपात। ५. लज्जा। शर्म। हया। क्रि० प्र०— करना।—रखना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
लिहाजा  : अव्य० [अ०] अतः। इसलिए।
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