शब्द का अर्थ
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वसुंधरा :
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स्त्री० [सं० वसु√धा (धारण करना)+खच्,मुम्] पृथ्वी। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
वसु :
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वि० [सं०] १. जो सबमें निवास करता हो। २. जिसमें सबका निवास हो। पुं० १. सूर्य। २. विष्णु। ३. शिव। ४. कुबेर। ५. धन-सम्पत्ति। जैसे– सोना-चाँदी, रत्न आदि। ६. किरण। रश्मि। ७. साधु-पुरुष। सज्जन। ८. जल। पानी। ९. तालाब। सरोवर। १॰. अग्नि। ११. पेड़। वृक्ष। १२. पीली मूँग। १३. मौलसिरी। १४. अगस्त का पेड़। १५. जोते जानेवाले घोड़े,बैल आदि की जोत। १६. देवताओं का एक गुण जिसके अन्तर्गत आठ देवता है। १७. उक्त के आधार पर आठ की संख्या का वाचक शब्द। १८. छप्पय के हो सकनेवाले भेदों में से ६९वाँ भेद। स्त्री० [सं०] १. दीप्ति। चमक। २. वृद्धि नामक ओषधि ३. दक्ष प्रजापति की एक कन्या जो धर्म को ब्याही थी, और जिसके द्रोण आदि आठ वसुओं का जन्म हुआ था। ४. अमरावती। |
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वसुक :
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पुं० [सं०√वसु+क या वसु+कन्] १. साँभर नमक। २. पांशु लवण। ३. बथुआ नाम का साग। ४. काला अगर। ५. आक। मदार। ६. मौलसिरी। |
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वसुकरी :
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स्त्री० [सं०] संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी। |
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वसुकर्ण :
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पुं० [सं० ब० स०] एक मंत्र-द्रष्टा ऋषि। |
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वसुकला :
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स्त्री० [सं०] एक मंत्र द्रष्टा ऋषि। |
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वसुकला :
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स्त्री० [सं०] एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसे ‘तारक’ भी कहते हैं। दे० ‘तारक’। |
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वसुद :
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पुं० [सं० वसु√दा (देना)+क] १. कुबेर। २. विष्णु। |
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वसुदा :
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स्त्री० [सं० वसुद+टाप्] स्कंद की एक मातृका। |
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वसुदेव :
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पुं० [सं०] मथुरा के राजा कंस के बहनोई जो श्रीकृष्ण के पिता थे। |
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वसुदेवत :
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पुं० [सं० ब० स०] धनिष्ठा नक्षत्र। |
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वसुदेव्या :
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स्त्री० [सं० वसुदेव+यत्+टाप्] धनिष्ठा नक्षत्र। |
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वसुद्रुम :
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पुं० [सं० मध्यम स०] गूलर। |
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वसुधर्मिका :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. स्फटिक। बिल्लोर। २. संगमरमर। |
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वसुधा :
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स्त्री० [सं० वसु√धा (धारण करना)+क+टाप्] पृथ्वी। वि० धन देनेवाला। |
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वसुधाधर :
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पुं० [सं०] १. पर्वत। २. विष्णु। |
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वसुधान :
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पुं० [सं० वसु√धा (धारण करना)+ल्युट-अन] पृथ्वी। |
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वसुधारा :
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स्त्री० [सं० वसुधार+टाप्] १. एक शक्ति (जैन) २. बौद्धों की एक देवी। ३. अलका पुरी। ४. एक प्राचीन नदी। ५. नांदीसुख श्राद्ध के अन्तर्गत एक कृत्य जिसमें घी की सात धारें दी जाती हैं। |
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वसुन :
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पुं० [सं० वसु√नी (ढोना)+ड०] यज्ञ। |
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वसुनीत :
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पुं० [सं० तृ० त०] ब्रह्मा। |
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वसुनीथ :
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पुं० [सं० ब० स०] अग्नि। |
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वसुनेत्र :
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पुं० [सं० ब० स] बौद्धों के अनुसार ब्रह्मा का एक नाम। |
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वसुपति :
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पुं० [सं०] श्रीकृष्ण। |
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वसुपाल :
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पुं० [सं० वसु√पाल् (पालन करना)+अच्] राजा। |
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वसुप्रद :
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पुं० [सं०] १. शिव। २. कुबेर। २. स्कंद का एक अनुचर। वि० धन देनेवाला। |
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वसुप्रभा :
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स्त्री० [सं० ब० स०] १. अग्नि की एक जिह्वा। २. कुबेर का राजनगर। |
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वसुवंध :
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पुं० [सं०] महायानी शाखा के एक बौद्ध जिनकी रचनाओं के चीनी अनुवाद अब भी प्राप्य है। |
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वसुभ :
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पुं० [सं०] धनिष्ठा नक्षत्र। |
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वसुमती :
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स्त्री० [सं०] १. पृथ्वी। २. एक प्रकार का वर्ण, वृत्त जिसके प्रत्येक चरण में तगण और रगण होते हैं। |
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वसुमना :
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पुं० [सं० ब० स०] १. अग्नि। २. शिव। ३. पुराणानुसार एक मंत्र-द्रष्टा ऋषि। |
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वसुमान :
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पुं० [सं०] पुराणानुसार उत्तर दिशा का एक पर्वत। |
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वसुमित्र :
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पुं० [सं० ब० स०] महायानी शाखा के एक बौद्ध आचार्य जो काश्मीर के पश्चिम अश्मापरांत देश के निवासी कहे गये है। |
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वसुरुचि :
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पुं० [सं० वसु√रुच् (प्रकाश करना)+क्विप्] एक प्रकार का देवता। |
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वसुरूप :
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पुं० [सं० ब० स०] शिव। |
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वसुल :
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पुं० [सं० वसु√ला (लेना)+क] देवता। |
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वसुवन :
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पुं० [सं० ष० त०] ईशान कोण में स्थित एक प्राचीन देश। (बृहत्संहिता)। |
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वसुविद् :
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पुं० [सं० वसु√विद् (प्राप्त होना)+क्विप्] अग्नि। |
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वसुश्री :
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स्त्री० [सं० ब० स०] स्कंद की अनुचरी एक मातृका। |
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वसुश्रेष्ठ :
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पुं० [सं०] श्रीकृष्ण। |
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वसुषेण :
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पुं० [सं० ब० स०] १. कर्ण २. विष्णु। |
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वसुसारा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] अलका (नगरी)। |
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वसुस्थली :
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स्त्री० [सं० ब० स०] अलका (नगरी)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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वसुह :
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स्त्री० [सं० वसुधा] १. पृथ्वी। २. जगह। स्थान।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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