शब्द का अर्थ
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विनय :
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स्त्री० [सं०] १. यह कहना या बतलाना कि अमुक काम या बात इस प्रकार होनी चाहिए। कुछ करने का ढंग बतलाना या सिखाना। शिक्षा। २. कोई काम या बात करने का अच्छा, ठीक और सुंदर ढंग। ३. आचार, व्यवहार आदि में रहनेवाली नम्रता और सौजन्य जो अच्छी तरह शिक्षा से प्राप्त होता है (मॉडेस्टी)। ४. कर्त्तव्यों आदि का ऐसा निर्वाह और पालन जिसमें कुछ भी त्रुटि या दोष न हों। ५. आदेशों, नियमों आदि का ठीक ढंग से और भले आदमियों की तरह किया जानेवाला पालन। (डिसिप्सन)। ६. नम्रतापूर्वक की जानेवाली प्रार्थना या विनती। ७. नीति। ८. इंद्रिय-निग्रह। जितेंन्द्रिय व्यक्ति। ९. किसी को नियंत्रण या शासन में रखने के लिए कही जाने वाली ऐसी बात जिसके साथ अवज्ञ के लिए दंड का भी भय दिखाया जाय या विधान किया गया हो। (स्मृति)। १॰. वणिक्। व्यापारी। |
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समानार्थी शब्द-
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विनयकर्म (न्) :
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पुं० [सं० ष० त०] पढ़ावे, सियाने आदि का कार्य। शिक्षण। शिक्षा। |
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विनयघर :
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पुं० [सं०] पुरोहित। |
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विनय-पिटक :
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पुं० [सं० ष० त०] बौद्धों का एक धर्म-ग्रन्थ जिसमें विनय अर्थात् सदाचार संबंधी नियम संगृहीत है। |
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विनयवान् :
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वि० [सं० विनय+मतुप्, विनयवत्] स्त्री० विनयवती] जिसमें विनय अर्थात नम्रता हो। शिष्ट। |
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विनयशील :
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वि० [सं०] जो स्वभावतः विनम्र हो। प्रकृति से विनम्र्। |
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विनयाध्यक्ष :
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पुं०=संकायाध्यक्ष। |
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विनयावनत :
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भू० कृ० [सं० तृ० त०] विनय के कारण झुका हुआ। विनम्र। |
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विनयी (यिन्) :
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वि० [सं० विनय+इनि, दीर्घ, न-लोप] विनययुक्त। |
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