शब्द का अर्थ
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विभाग :
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पुं० [सं० वि+भज् (भाग करना)+घञ्] १. कोई चीज कई टुकड़ों या भागों में बाँटना। २. उक्त प्रकार से अलग किया हुआ अंश या टुकड़ा। ३. ग्रन्थ का परिच्छेद या प्रकरण। ४. कोई विशिष्ट कार्य करने के लिए अलग किया हुआ क्षेत्र (डिपार्टमेंट)। जैसे— न्याय विभाग। ५. कार्य-संचालन के सुभीते के लिए किसी कार्य-क्षेत्र के कई छोटे-छोटे हिस्सों में से हर एक (सेक्सन)। ६. किसी विशिष्ट कार्य के लिए निश्चित किया हुआ क्षेत्र या खंड (डिविजन)। |
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विभागक :
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पुं० [सं० विभाग+कन्] १. विभाग करनेवाला। विभाजक। २. विभागीय। (दे०)। |
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विभागात्मक-नक्षत्र :
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पुं० [सं० कर्म० स०] रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वस्, मघा, चित्रा, स्वाती, ज्येष्ठा और श्रवण आदि आठ प्रकाशमान् नक्षत्र। |
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विभागी (गिन्) :
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वि० [सं० वि√भज् (भाग करना)+णि] १. विभाग। २. हिस्सेदार। |
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विभागीय :
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वि० [सं०] किसी विशिष्ट विभाग में होने या उससे संबंध रखनेवाला (डिपार्टमेंटल) जैसे—विभागीय कार्रवाई। |
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