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विवाह  : पुं० [सं० वि√वह् (ढोना)+घञ्] १. हिन्दू धर्म में सोलह संस्कारों में से एक जिसमें वर तथा कन्या पति-पत्नी का धर्म स्वीकार करते हैं। विशेष—हिन्दू धर्म में आठ प्रकार के विवाह माने जाते है-ब्राह्म, दैव, आर्ष, प्राजापत्य, आसुर, गान्धर्व, राक्षस और पैशाच्य। ३. उक्त संस्कार के अवसर पर होनेवाला उत्सव या समारोह। ४. व्यापक अर्थ में वह उत्सव जिसमें पुरुष तथा स्त्री वैवाहिक बन्धन में बँधना स्वीकार करते हैं। ५. उक्त अवसर पर होनेवाला धार्मिक कृत्य। जैसे—विवाह पंडित जी करावेंगे।
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विवाहना  : स०=ब्याहना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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विवाहला  : पुं० [सं० विवाह] विवाह के समय गाये जानेवाले गीत (राज०)
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विवाह-विच्छेद  : पुं० [सं० ष० त०] वह अवस्था जिसमें पुरुष और स्त्री अपना वैवाहिक सम्बन्ध तोड़कर एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं। तलाक (डाइवोर्स)।
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विवाहा  : वि० कृ० [स्त्री० विवाही]=विवाहित।
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विवाहित  : भू० कृ० [सं० विवाह+इतच्] [स्त्री० विवाहिता] १. जिसका विवाह हो गया हो। ब्याहा हुआ। २. जिसके साथ विवाह किया गया हो।
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विवाह्य  : वि० [सं० वि√वह (ढोना)+ण्यत्] १. जिसका विवाह होने को हो या होना उचित हो। २. जिसके साथ विवाह किया जा सकता हो।
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