शब्द का अर्थ
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वीरांतक :
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वि० [सं० ष० त०] वीरों को नष्ट करनेवाला। वीरों का नाशक। पुं० अर्जुन (वृक्ष)। |
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वीरा :
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स्त्री० [सं० वीर+टाप्] १. ऐसी स्त्री जिसके पति और पुत्र हों। २. महाभारत के अनुसार एक प्राचीन नदी। ३. मदिरा। शराब। ४. ब्राह्मी बूटी। ५. मुरामांसी। ६. क्षीर काकोली। ७. भुइँ आँवला। ८. केला। ९. एलुआ। १॰. बिदारी कन्द। ११. काकोली। १२. घीकुआँर १३. शतावर। |
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वीराचार :
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पुं० [सं०] वाममार्गियों का एक विशिष्ट प्रकार का आचार या साधना-पद्धति जिसमें मद्य को शक्ति और मांस को शिव मानकर शव-साधन किया जाता है। |
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वीराचारी (रिन्) :
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पुं० [सं० वीराचारिन] [स्त्री० वीराचारिणी] वीराचार के अनुसार साधना करनेवाला वाम-मार्गी। |
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वीरान :
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वि० [सं० विरिण (ऊसर)+से फा०] १. (प्रदेश) जिसमें बस्ती न हों। निर्जन। २. लाक्षणिक अर्थ में शोभा-विहीन। |
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वीराना :
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पुं० [फा० वीरानः] निर्जन प्रदेश। |
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वीरानी :
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स्त्री० [फा०] वीरान होने की अवस्था या भाव। |
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वीराशंसन :
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पुं० [सं० वीर+आ√शंस् (कहना)+फिच्+ल्युट-व] ऐसी युद्ध भूमि जो बहुत ही भीषण और भयानक जान पड़ती हो। |
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वीरासन :
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पुं० [सं० वीर+आसन्] १. योग साधन में एक विशिष्ट प्रकार का आसन या मुद्रा। २. मध्ययुगीन भारत में राजदरबारों में बैठने का एक विशिष्ट प्रकार का आसन या मुद्रा जिसमें दाहिना घुटना मोड़कर पैर चूतड़ के नीचे रखा जाता था और बायाँ मुड़ा हुआ घुटना सामने खड़े बल में रहता था। |
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