शब्द का अर्थ
|
व्युत्थान :
|
पुं० [सं० वि+उत्√स्था (ठहरना)+ल्युट-अन] १. खड़े होना। २. किसी के विरुद्ध खड़े होना। ३. एक प्रकार का नृत्य। ४. समाधि। ५. योग के अनुसार चित्त की क्षिप्त मूढ़ और विक्षिप्त ये तीनों अवस्थाएँ या चित्तभूमियाँ जिनमें योग का साधन नहीं हो सकता। इन भूमियों में चित्त बहुत चंचल रहता है। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|