शब्द का अर्थ
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संयत् :
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वि० [सं० सम्√यत्न (पद्य करना)+क्विप्-यम्+क्विप-तुक वा] १. संबद्ध। लगा हुआ। २. जिसका क्रम न टूटे। लगातार होनेवाला। पुं० १. नियत स्थान। २. करार। वादा। ३. लड़ाई-झगड़ा। ४. एक प्रकार की पुरानी चाल की ईट जो वेदी बनाने के काम आती थी। |
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समानार्थी शब्द-
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संयत :
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वि० [सं०] १. बँधा या जकड़ा हुआ। बद्ध। २. दबाया या रोका हुआ। ३. कैद या बन्द किया हुआ। ४. किसी प्रकार की मर्यादा या सीमा के अंदर रहने वाला। मर्यादित। (मॉडरेट) ५. क्रम, नियम आदि से व्यवस्थित किया हु्आ। ६. उद्धत। सन्नद्ध। ७. इन्द्रिय-निगृही। ८. सीमा के अंदर रखा हुआ। पुं० १. शिव। २. योगी। |
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संयत-प्राण :
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वि० [सं०] जिसमें प्राणायाम के द्वारा प्राणवायु या श्वास को वश में किया हो। |
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संयतात्मा (त्मन्) :
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वि० [सं० ब० स०] जिसमें मन को वश में किया हो। चित्तवृत्ति का विरोध करने वाला। |
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संयति :
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स्त्री० [सं० सम्√यम् (रोकना)+क्तिन-नलोप] १. संयत रहने या होने की अवस्था या भाव। २. निरोध। रोक। |
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