शब्द का अर्थ
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सकाना :
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अ० [सं० शंका, हिं० सकना] १. मन में संका या संदेह करना। २. संशंकित होकर पीछे हटना। आगे बढ़ने से हिचकिचाना। उदा०—क्षत्रिय तनु धरि समर सकाना।—तुलसी। ३. भयभीत होना। डरना। उदा०—सोच कबै सकाई कहा करिहै कमलासन।—रत्नाकर। ४. मन में दुःखी होना। उदा०—सुनि मुनिवर क् पुरुष वचन, कछु भूप सकाए। रत्नाकर। स० हिं० ‘सकना’ का सकर्मक और प्ररणार्थक रूप। जैसे—सके तो सकाओ, नहीं तो छोड़ दो। (परिहास) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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