शब्द का अर्थ
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सदा :
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अव्य० [सं०] १. हर समय। हर वक्त। जैसा—सदा भगवान् का नाम लेते रहना चाहिए। २. निरंतर। लगातार। ३. किसी भी अवस्था या स्थिति में। जैसा—मनुष्य को सदा सच्च बोलना चाहिए। स्त्री० [सं० मि० सं० शब्द, प्रा० सद्द] १. गूँज। प्रतिध्वनि। २. आवाज। शब्द। ३. पुकारने की आवाज। पुकार। मुहावरा—सदा देना या लगाना=फकीर का भीख पाने के लिए पुकारना। उदाहरण—देर से हम दरे दौलत पे सदा देते है।—कोई शायर। ४. कोई मनोहर या सुन्दर ध्वनि। |
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समानार्थी शब्द-
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सदाकत :
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स्त्री० [अ० सदाकत] सच्चाई। सत्यता। |
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सदाकारी :
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वि० [सं० सदाकार+इनि] अच्छे आकार या आकृतिवाला। |
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सदा-कुसुम :
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पुं० [सं०] धव। धातकी। |
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सदा-गति :
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पुं० [सं० ब० स०] १. वायु। पवन। २. शरीर में का वात। ३. सूर्य। ४. ब्रह्म। वि० सदा चलता रहनेवाला। |
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सदागम :
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पुं० [सं० ष० त०] १. सज्जन का आगमन। २. श्रेष्ठ आगम या शास्त्र। |
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सदाचरण :
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पुं० [सं० कर्म० स०] अच्छा चाल-चलन। सात्विक व्यवहार। सदाचार। |
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सदाचार :
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पुं० [सं०] १. धर्म, नीति आदि की दृष्टि से किया जानेवाला अच्छा और शुभ आचरण। अच्चा चाल-चलन। २. उक्त का भाव। (मॉरैलिटी)। ३. शिष्टतापूर्ण व्यवहार। ४. प्रथा। रीति। |
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सदाचारिता :
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स्त्री० [सं० सदाचार+इनि-तल्—टाप्]=सदाचार। |
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सदाचारी (रिन्) :
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वि० [सं० सदाचार+इनि] [स्त्री० सदाचारिणी] १. अच्छे आचरणवाला व्यक्ति। अच्छे चाल-चलन का आदमी। सदवृत्तिशील। २. धर्मात्मा। पुण्यात्मा। |
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सदातन :
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पुं० [सं० सदा+ल्यु—अन, तुट् आगम] विष्णु। |
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सदात्मा (त्मन्) :
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वि० [सं० ब० स०] अच्छे स्वभाव का। नेक। सज्जन। |
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सदादान :
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पुं० [सं० ब० स०] १. ऐसा हाथी जिसका मद सदा बहता रहता हो। २. ऐरावत। ३. गणेश। |
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सदानंद :
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पुं० [सं० सद्+आनन्द] १. सदा बना रहनेवाला परम सुख। परमानंद। २. शिव। ३. विष्णु। ४. परमात्मा। वि० सदा प्रसन्न रहने और रखनेवाला। |
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सदानर्त :
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वि० [सं० सदा√ नृत् (नाचना)+अच्] जो बराबर नाचता हो। पुं० खंजन नामक पक्षी। |
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सदापुष्प :
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पुं० [सं०] १. नारिकेल। नारियल। २. आक। मदार। ३.कुन्द का फूल। वि० हमेशा फूलनेवाला (वृक्ष या फूल)। |
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सदापुष्पी :
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स्त्री० [सं०] १. आक। मदार। २. कपास। ३.चमेली। मल्लिका। |
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सदा-प्रसून :
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पुं० [सं०] १. रोहितक वृक्ष। २. आक। मदार। ३. कुन्द का पौधा। |
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सदाफर :
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वि०=सदाफल।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सदा-फल :
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वि० [सं०] सदा अर्थात् बारहों महीने फलता रहनेवाला (वृक्ष)। पुं०१. गूलर। २. नारियल। ३. बेल का वृक्ष। ४. एक प्रकार का नींबू। |
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सदाफली :
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स्त्री० [सं० सदाफल-टाप्, ङीष्] १. जपापुष्प। गुड़हर। देवीफूल। २. एक प्रकार का बैंगन। |
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सदाबरत :
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पुं०=सदावर्त। |
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सदावर्त :
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पुं०=सदावर्त। |
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सदा-बहार :
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वि० [सं० सदा+फा० बहार=फूल-पत्ती का समय] १. (वृक्ष या पौधाः जो सदा हरा-भरा रहे और जिसमें पतझड़ न होता हो। २. जिसमें सदा फूल लगते रहते हों। |
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सदार :
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वि० [सं० अव्य० स०] जो दारा अर्थात् पत्नी के साथ हो। |
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सदारत :
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स्त्री० [अ] सभापतित्व। |
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सदावर्त :
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पुं० [सं० सदा+व्रत] १. हमेशा अन्न बाँटने का व्रत। नित्य दीन-दुखियों तथा भूखों को भोजन देना। क्रि० प्र०—खुलना।—खोलना।—चलना।—चलाना। २. इस प्रकार दिया जानेवाला भोजन। क्रि० प्र०-बँटना।—बाँटना। |
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सदावर्ती :
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वि० [हि० सदावर्त] १. सदावर्त बाँटनेवाला। भूखों को नित्य अन्न बाँटनेवाला। २. बहुत बड़ा दाता या दानी। |
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सदाव्रत :
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पुं०=सदावर्त। |
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सदाशय :
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वि० [सं०] [भाव० सदाशयता] जिसके मन का आशय या भाव उदार और श्रेष्ठ हो। उच्च विचारोंवाला। सज्जन। भला-मानस। पुं० वह स्थिति जिसमें कोई व्यक्ति अच्छे और शुभ आशय में कोई काम करता हो। कदाशयता का विपर्याय। (बोनाफाइडीज़) |
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सदाशयी :
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वि० [सं०] १. सदाशय संबंधी। २. (व्यक्ति) जो सदाशय से युक्त हो। ३. (काम या बात) जिसमें अच्छा आशय ही हो, बुरा आशय न हो। कदाशयी का विपर्याय। (बोनाफइड) |
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सदाशयता :
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स्त्री० [सं०] १. सदाशय होने की अवस्था, गुण या भाव। २. विधिक क्षेत्र में वह स्थिति जिसमें मनुष्य ईमानदारी और सच्चाई से अथवा मन में सद् आशय रखकर कोई काम करता हो, और जिसके फलस्वरूप कोई अनुचित कार्य हो जाने पर भी वह दोषी नहीं माना जाता। |
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सदाशिव :
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वि० [सं०] सदा कल्याण और मंगल करनेवाला। पुं०शिव का एक नाम। |
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सदा-सुहागिन :
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वि०स्त्री० [सं० सदा+हि० सुहागिन] (स्त्री) जो सदा सौभाग्यवती रहे। जो कभी पतिहीन न हो। स्त्री० १. वेश्या। (परिहास) २. सिदूरपुष्पी। ३. स्त्रियों का वेश बनाकर रहने वाले मुसलमान फकीरों का एक संप्रदाय। |
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