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सामंत  : वि० [सं०] सीमा पर या पड़ोस में रहने वाला पुं० १. पड़ोसी। २. राजा के आधीन रहने वाला बड़ा सरदार। ३. प्रजावर्ग का श्रेष्ठ व्यक्ति। ४. वीर। योद्धा। ५. पड़ोस। ६. निकटता। समीपता। ७. संगीत में कर्णाटकी पद्धति का एक राग।
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सामंत-तंत्र  : पुं० [सं०] आधुनिक राजनीति में आर्थिक राजनीति और सामाजिक आदि क्षेत्रों की वह व्यवस्था, जिसमें अधिकतर अधिकार बड़े-बड़े सामंतो या सरदारों के हाथ में रहते हैं। (फ्यूडल सिस्टम)
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सामंत-प्रणाली  : स्त्री०=सामंत-तंत्र।
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सामंत-प्रथा  : स्त्री० [सं०]=सामंत-तंत्र।
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सामंत-भारती  : पुं० [सं०] संगीत में, मल्लार और सारंग के मेल से बना हुआ एक प्रकार का संकर राग।
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सामंतवाद  : पुं० [सं०] यह सिद्धांत कि राजनीति और सामाजिक आदि क्षेत्रों में सामंत-तंत्र ही अधिक उपयोगी सिद्ध होता है। (फ़्यूडलिज़्म)
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सामंतशाही  : स्त्री०=सामंत-तंत्र।
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सामंत-सारंग  : पुं० [सं० मध्यम० स०] संगीत में एक प्रकार का सारंग राग जिसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं।
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सामंतिक  : वि० [सं०] १. सामंत-संबंधी। सामंत का। २. सामंतो प्रणाली से संबंध रखने वाला। सामंती (फ़्यूडल)।
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सामंती  : स्त्री० [सं० सामंत—ङीप्] संगीत मे एक प्रकार का रागिनी, जो मेघराज की पत्नी मानी जाती है। स्त्री [हिं० सामंत] सामंत होने की अवस्था या भाव। वि०=सामंतिक।
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सामंतेश्वर  : पुं० [सं० ष० त०] १. सामंतो की मुखिया। २. चक्रवर्ती सम्राट। शहंशाह।
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