शब्द का अर्थ
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सेत :
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वि०=श्वेत (सफेद)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) पुं०=सेतु। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
सेतकुली :
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पुं० [सं० श्वेतकुलीय] सर्पों के अष्ट कुल में एक। सफेद जाति के नाग। |
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सेतदीप :
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पुं०=श्वेतदीप।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतु-दुति :
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पुं० [सं० श्वेतद्युति] चन्द्रमा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतना :
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स०=सैंतना (संचित करना)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतबंध :
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पुं०=सेतुबंध।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतवा :
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पुं० [सं० शक्ति, हिं० सितुही] अफीम काछने की लोहे की कलछी। |
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सेतवारी :
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स्त्री० [सं० सिक्ता,=बालू+बारी (प्रत्य०)] हरापन लिए हुए बलुई चिकनी मिट्टी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतवाह :
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पुं० [सं० श्वेतवाहन] १. अर्जुन। २. चन्द्रमा। (डिं०)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेता :
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वि० [सं० श्वेत] [स्त्री० सेती] सफेद। उदा०–सेतो सेतो सब भलो सेतो बसो न केस।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतिका :
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स्त्री० [सं० साकेत] अयोध्या नगरी का एक नाम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेती :
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अव्य० [प्रा० सुत] १. किसी के प्रति। को। २. द्वारा। विभ० दे० ‘से’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतु :
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पुं० [सं०] १. बाँधने की क्रिया या भाव। बन्धन। २. नदी आदि पार करने के लिए बनाया हुआ रास्ता। पुल। ३. दूर रहनेवाली दो चीजों को आपस में मिलानेवाला अंग या रचना। (ब्रिज)। ४. पानी की रुकावट के लिए बँधा हुआ बाँध। ५. खेत की मेड़। ६. सीमा। हद। उदा०–राखहिं निज श्रुति सेतु।–तुलसी। ७. सीमा की सूचक किसी प्रकार की रचना । जैसे–डाँड़, मेड़ आदि। ८. ओंकार या प्रणव की एक संज्ञा। ९. ग्रन्थ की टीका या व्याख्या। १॰. वरुण वृक्ष। बरना। वि० =श्वेत।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतुक :
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पुं० [सं०] १. पुल। २. जलाशय का धुस्स। बाँध। ३. वरुण नामक वृक्ष। बरना। |
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सेतु-कर :
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पुं० [सं०] सेतु या पुल बनानेवाला। |
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सेतु-कर्म (न्) :
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पुं० [सं०] सेतु या पुल बनाने का काम। |
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सेतुज :
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पुं० [सं०] दक्षिणापथ के एक स्थान का नाम। |
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सेतुपति :
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पुं० [सं०] दक्षिण भारत के पुराने रामनद राज्य के राजाओं की वंश परम्परागत उपाधि। |
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सेतु-पथ्य :
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पुं० [सं०] दुर्गम स्थानों में जानेवाली सड़क। ऊँची—नीची पहाड़ी घाटियों में जानेवाली सड़क। (कौ०) |
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सेतुप्रद :
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पुं० [सं०] कृष्ण का एक नाम। |
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सेतुबंध :
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पुं० [सं०] १. पुल बनाने या बाँधने की क्रिया। २. नहर। ३. वह पथरीला मार्ग जो रामेश्वरम् से कुछ दूर आगे लंका की ओर समुद्र में बना हुआ है। प्रवाद है कि इसे नील और उनके साथियों ने श्रीरामचन्द्र जी के लंका पर चढ़ाई करने के समय बनाया था। |
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सेतुबंध रामेश्वर :
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पुं० [सं०] भारत की दक्षिणी सीमा का वह स्थान जहा लंका पर चढ़ाई करने के लिए रामचन्द्र ने पुल बनाया और शिवलिंग स्थापित किया था। |
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सेतुवा :
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पुं० =सूस।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) पुं० =सेहुँवा (चर्म रोग)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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सेतुशैल :
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पुं० [सं०] दो देशो के बीच का सीमा—सूचक पर्वत। सरहद का पहाड़। |
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