श्रीमद्भगवद्गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १

महर्षि वेदव्यास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4
आईएसबीएन :

Like this Hindi book 0

श्रीमद्भगवद्गीता पर सरल और आधुनिक व्याख्या

अयनेषु च सर्वेषु यथाभागमवस्थिताः।
भीष्ममेवाभिरक्षन्तु भवन्त: सर्व एव हि।।11।।

इसलिये सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सभी निसन्देह भीष्मपितामह की ही सब ओर से रक्षा करें।।11।।

वह भीष्म के उनकी ओर से युद्ध करने के महत्व को समझता है, इसलिए पुन अपनी सेना का सही मार्ग निर्देशन करने वाले भीष्म की महत्वपूर्ण सेनानियों द्वारा रक्षा करने की आवश्यकता पर बल देता है। किसी भी युद्ध में यदि सेनापति को आघात हो तो सेना स्वयं हार जाती है, इस बात का ध्यान रखते हुए वह कह रहा है कि यदि हमें पाण्डवों पर विजय प्राप्त करनी है तो सेनापति का सुरक्षित होना आवश्यक है ताकि वह शत्रु सेना का संहार कर सके।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book