श्रीमद्भगवद्गीता >> श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १

श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय १

महर्षि वेदव्यास

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2018
पृष्ठ :0
मुखपृष्ठ :
पुस्तक क्रमांक : 4
आईएसबीएन :

Like this Hindi book 0

श्रीमद्भगवद्गीता पर सरल और आधुनिक व्याख्या

तस्य सञ्जनयन् हर्षं कुरुवृद्धः पितामह:।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खं दध्मौ प्रतापवान्।।12

कौरवों में सबसे वृद्ध प्रतापी पितामह भीष्म ने उस दुर्योधन के हृदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया।।12।।

जिस समय दुर्योधन और द्रोणाचार्य में यह वार्तालाप हो रहा था, उसी समय क्षत्रियोचित् युद्ध की इच्छा से युद्धक्षेत्र में उपस्थित पितामह ने अत्याधिक गंभीर और विरोधी सेना के हृदयों में कंपन उतपन्न करने वाली ध्वनि के साथ अपने शंख को बजाया। सदियों से अत्यधिक तीव्र ध्वनियाँ मानव मन में कंपन उत्पन्न करती रही हैं, क्योंकि इस प्रकार की ध्वनियाँ प्रकृति में प्रचण्ड विनाश की द्योतक हैं। इसी प्रकार जब दुर्योधन भीष्म के शंख की भीषण ध्वनि को सुनता है, तब वह ध्वनि उसे पाण्डवों के नाश और अपनी विजय की आशा के कारण हर्ष की अनुभूति प्रदान करती है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book