|
वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
|
|
||||||
स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
मैं यह नहीं कहता कि तुम्हारा दृष्टिकोण गलत है। तुमने जैसा समझा है, वैसा करो। उससे परम मंगल होगा- लोगों का बड़ा हित होगा, पर इसी कारण मेरे दृष्टिकोण पर दोषारोपण मत करो। मेरा मार्ग भी अपने ढंग से मेरे लिए व्यावहारिक है। आओ, हम सब अपने-अपने ढंग से कार्य करें। भगवान् करे कि, हम दोनों ही ओर समान रूप से कार्य-कुशल हो सकते। मैंने ऐसे अनेक वैज्ञानिक देखे हैं, जो विज्ञान और अध्यात्म-तत्त्व दोनों में समान रूप से व्यावहारिक हैं, और मैं आशा करता हूँ कि एक समय आएगा, जब समस्त मानवजाति इसी प्रकार व्यवहार-कुशल हो जाएगी। मान लो, एक पतीली में जल गरम होकर उबलने आ रहा है- उस समय क्या होता है, इस बात की ओर यदि तुम ध्यान दो, तो देखोगे कि एक कोने में एक बुद्बुद उठ रहा है, दूसरे कोने में एक और उठ रहा है। ये बुद्बुद क्रमशः बढ़ते जाते हैं और अन्त में सब मिलकर एक प्रबल हलचल उत्पन्न कर देते हैं। यह संसार भी ऐसा ही है। प्रत्येक व्यक्ति मानो एक बुद्बुद है, और विभिन्न राष्ट्र मानो कुछ बुद्बुदों की समष्टि हैं।
|
|||||






