वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :602
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7
आईएसबीएन :1234567890

Like this Hindi book 0

स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान

और बौद्ध धर्म के सारे उपदेशों का यही मर्म है कि उस खोयी हुई निर्वाण-अवस्था को फिर से प्राप्त करना होगा। इस तरह हम देखते हैं कि सभी धर्मों में यह एक तत्त्व पाया जाता है कि जो तुम्हारा पहले से ही नहीं है, उसे तुम कभी नहीं पा सकते। इस विश्व-ब्रह्माण्ड में तुम किसी के भी प्रति ऋणी नहीं हो। तुम्हें अपने जन्मसिद्ध अधिकार का ही दावा करना है। यह भाव एक प्रसिद्ध वेदान्ताचार्य ने अपने एक ग्रन्थ के नाम में ही बड़े सुन्दर भाव से प्रकट किया है। ग्रन्थ का नाम है 'स्वाराज्यसिद्धि' अर्थात् हमारे अपने खोये हुए राज्य की पुनःप्राप्ति। वह राज्य हमारा है, हमने उसे खो दिया है, फिर से हमें उसे प्राप्त करना होगा। पर मायावादी कहते हैं- राज्य का यह खोना केवल भ्रम था, तुमने कभी उसे खोया नहीं। बस यही अन्तर है। यद्यपि इस विषय में सभी धर्म-प्रणालियाँ एकमत हैं कि हमारा जो राज्य था, उसे हमने खो दिया है, पर वे उसे फिर से पाने के विविध उपाय बतलाती हैं। कोई कहती है – कुछ विशिष्ट क्रिया-कलाप एवं प्रतिमा आदि की पूजा-अर्चना करने से और स्वयं कुछ विशेष नियमानुसार जीवनयापन करने से यह साम्राज्य पुनः मिल सकता है। अन्य कोई कहती है–यदि तुम प्रकृति से अतीत पुरुष के सम्मुख अपने को नत कर रोते रोते उससे क्षमा चाहो, तो पुनः उस राज्य को प्राप्त कर लोगे। दूसरी कोई कहती है- यदि तुम इस पुरुष से पूरे हृदय से प्रेम कर सको, तो तुम फिर से इस राज्य को प्राप्त कर लोगे। उपनिषदों में ये सभी उपदेश पाये जाते हैं। क्रमशः हम यह देखेंगे।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

लोगों की राय

No reviews for this book