वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
पहले चाहिए बहिर्यन्त्र, यह बहिर्यन्त्र मानो विषय को वहन कर इन्द्रिय के निकट ले जाता है; फिर उस इन्द्रिय के साथ मन को युक्त रहना चाहिए। जब मस्तिष्क में अवस्थित इन्द्रिय से मन का योग नहीं रहता, तब कर्ण-यन्त्र और मस्तिष्क के केन्द्र पर भले ही कोई विषय आकर टकराए, पर हमें उसका अनुभव न होगा। मन भी केवल वाहक है, वह इस विषय की संवेदना को और भी आगे ले जाकर बुद्धि को 'ग्रहण कराता है। बुद्धि इसके सम्बन्ध में निश्चय करती है, पर इतने से ही काम पूरा नहीं हुआ। बुद्धि को उसे फिर और भी भीतर ले जाकर शरीर के राजा आत्मा के पास पहुँचाना पड़ता है। उसके पास पहुँचने पर आत्मा आदेश देती है, "हाँ, यह करो" या "मत करो"। तब जिस क्रम से वह विषय-संवेदना केन्द्र में गयी थी, ठीक उसी क्रम से वह बहिर्यन्त्र में आती है- पहले बुद्धि में, उसके बाद मन में, फिर मस्तिष्क-केन्द्र में और अन्त में बहिर्यन्त्र में–तभी विषय-ज्ञान की क्रिया पूरी होती है।
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