वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :602
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7
आईएसबीएन :1234567890

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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान

अब आत्मा के स्वरूप के बारे में विविध प्रश्न उठते हैं। आत्मा स्वप्रकाश है, सच्चिदानन्द ही आत्मा का स्वरूप है, इस युक्ति से यदि आत्मा का अस्तित्व मान लिया जाए, तो स्वभावतः ही यह प्रमाणित होता है कि उसकी सृष्टि नहीं होती। जो स्वप्रकाश है, जो अन्य-वस्तु-निरपेक्ष है, वह कभी किसी का कार्य नहीं हो सकता। अतएव सर्वदा ही उसका अस्तित्व था। ऐसा समय कभी न था, जब उसका अस्तित्व न था : क्योंकि यदि तुम कहो कि एक समय आत्मा का अस्तित्व नहीं था, तो प्रश्न यह है कि उस समय, फिर काल कहाँ अवस्थित था? काल तो आत्मा में ही अवस्थित है। (हमारा स्थूल शरीर काल और आकाश में स्थित है, परंतु आकाश और काल जो कि दोनों ही साथ-साथ उत्पन्न और नष्ट होते हैं, वे आत्मा में स्थित हैं) जब मन में आत्मा की शक्ति प्रतिबिम्बित होती है और मन चिन्तनकार्य में लग जाता है, तभी काल की उत्पत्ति होती है। (यहाँ काल को दो रूपों में समझा जा सकता है, एक तो है सार्वभौमिक काल जो कि इस प्रत्यक्ष जगत् में सभी के लिए है, दूसरा है, उस काल की हमें होने वाली अनुभूति, अर्थात् हमें अथवा किसी भी चेतन प्राणी हो समय व्यतीत होने का अनुभव, समय का इस प्रकार अनुभव हमें होता है लेकिन पत्थर पर समय का नियम लगते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि व्यतीत होते समय का अनुभव उसे हमारी तरह ही होगा)

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