वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
वैज्ञानिक मानते हैं कि प्रत्येक मनुष्य और प्रत्येक प्राणी कुछ अनुभूतियों की समष्टि लेकर जन्म लेता है; वे यह भी मानते हैं कि मन के ये सब कार्य पूर्वानुभूति के फल हैं। पर यहाँ पर वे और एक शंका उठाते हैं। वे कहते हैं कि यह कहने की क्या आवश्यकता है कि ये अनुभूतियाँ आत्मा की हैं? वे सब शरीर और केवल शरीर के ही धर्म हैं, यह क्यों न कहें ? उसे आनुवंशिक-संक्रमण (hereditary transmission ) क्यों न कहें ? यही अन्तिम प्रश्न है। जिन सब संस्कारों को लेकर मैंने जन्म लिया है, वे मेरे पूर्वजों के संचित संस्कार हैं, ऐसा हम क्यों न कहें? छोटे जीवाणु से लेकर सर्वश्रेष्ठ मनुष्य तक सभी के कर्म-संस्कार मुझमें हैं, पर वे सब आनुवंशिक-संक्रमण के कारण ही मुझमें आये हैं। ऐसा कहने में अड़चन कौनसी है? यह प्रश्न बहुत ही सूक्ष्म है। इस आनुवंशिक-संक्रमण को कुछ अंश तक हम मानते भी हैं। लेकिन बस यहीं तक मानते हैं कि इससे आत्मा को रहने लायक एक स्थान मिल जाता है। हम अपने पूर्व-कर्मों के द्वारा एक शरीरविशेष का आश्रय लेते हैं। और उस शरीरविशेष का उपयुक्त उपादान आत्मा उन्हीं लोगों से ग्रहण करती है, जिन्होंने उस आत्मा (अर्थात सूक्ष्म शरीर) को सन्तान के रूप में प्राप्त करने के लिए स्वयं को उपयुक्त बना लिया है।
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