वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
जन्म से मृत्यु तक की इस यात्रा को संस्कृत में 'संसार' कहते हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है, जन्म-मरण का चक्र। इस चक्र से गुजरती हुई सारी सृष्टि ही कभी न कभी मोक्ष को प्राप्त करेगी। अब प्रश्न हो सकता है कि जब सब को मोक्षप्राप्ति होगी ही. तब 'प्रयास' की क्या आवश्यकता है? जब सब लोग मुक्त हो ही जाएँगे, तो क्यों न हम चुपचाप बैठकर इसकी प्रतीक्षा करें? इतना तो सत्य अवश्य है कि कभी न कभी सभी जीव मुक्त हो जाएँगे, कोई नहीं रह जाएगा। किसी का भी विनाश नहीं होगा, सब का उद्धार हो जाएगा। अगर ऐसा हो, तो प्रयत्न से क्या लाभ? पहली बात तो यह है कि प्रयत्न से ही हम मौलिक केन्द्र पर पहुँच पाएँगे; दूसरी बात यह है कि हम स्वयं नहीं जानते कि हम प्रयत्न क्यों करते हैं। हमें प्रयत्न करते रहना है, बस। 'सहस्रों लोगों में कुछ ही लोग यह जानते हैं कि वे मुक्त हो जाएँगे।' संसार के असंख्य लोग अपने भौतिक कार्य-कलापों से ही सन्तुष्ट हैं। पर कुछ ऐसे लोग भी अवश्य मिलेंगे, जो जागृत हैं और जो संसार-चक्र से ऊब गये हैं। वे अपनी मौलिक साम्यावस्था में पहुँचना चाहते हैं। ऐसे विशिष्ट लोग जान-बूझकर मुक्ति के लिए प्रयत्न करते हैं, जब कि आम लोग अनजाने ही उसमें रत रहते हैं।
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