वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
हर देश में हर समय मनुष्य के भूत-भविष्य को जान लेने की विस्मयकर शक्ति का परिचय मिलता है। किन्तु इसकी व्याख्या यह है कि जब तक आत्मा कार्य-कारण की परिधि में रहती है- यद्यपि उसकी अन्तर्निहित स्वतन्त्रता तब भी बनी रहती है, और वह अपनी इस शक्ति का प्रयोग भी कर सकती है, जिसके द्वारा कुछ लोग आवागमन के चक्र से मुक्त हो जाते हैं- तब तक इसके क्रिया-कलापों पर कार्य-कारण नियम का बड़ा प्रभाव रहता है, और इसी से कार्य-कारण-परम्परा को समझनेवाली अन्तर्दृष्टि से सम्पन्न व्यक्तियों के लिए भूत-भविष्य बता देना सम्भव हो सकता है।
जब तक मनुष्य में वासना बनी रहेगी, तब तक उसकी अपूर्णता स्वतः प्रमाणित होती रहेगी। एक पूर्ण एवं मुक्त प्राणी कभी किसी चीज की आकांक्षा नहीं करता। ईश्वर कुछ चाहता नहीं है। अगर उसके भीतर भी इच्छाएँ जगें, तो वह ईश्वर नहीं रह जाएगा - वह अपूर्ण हो जाएगा। इसलिए यह कहना कि ईश्वर यह चाहता है, वह चाहता है, वह क्रमशः क्रुद्ध एवं प्रसन्न होता है-- महज बच्चों का तर्क है, जिसका कोई अर्थ नहीं। इसलिए सभी आचार्यों ने कहा है, "वासना को छोड़ो, कभी कोई आकांक्षा न रखो और पूर्णतः सन्तुष्ट रहो।"
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