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वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
मनुष्य का सत्य और आभासमय स्वरूप
(न्यूयार्क में दिया हुआ भाषण)
हम यहाँ खड़े हैं, परन्तु हमारी दृष्टि दूर, बहुत दूर, और कभी-कभी तो, कोसों दूर चली जाती है। जब से मनुष्य ने विचार करना आरम्भ किया, तभी से वह ऐसा करता आ रहा है। मनुष्य सदैव आगे और दूर देखने का प्रयत्न करता है। वह जानना चाहता है कि इस शरीर के नष्ट होने के बाद वह कहाँ चला जाता है। इसकी व्याख्या करने के लिए अनेक सिद्धातों का प्रचार हुआ, सैकड़ों मतों की स्थापना हुई। उनमें से कुछ मत खण्डित करके छोड़ भी दिये गये और कुछ स्वीकार किये गये; और जब तक मनुष्य इस जगत् में रहेगा, जब तक वह विचार करता रहेगा. तब तक ऐसा ही चलेगा। इन सभी मतों में कुछ न कुछ सत्य है, और साथ ही, उनमें बहुत-सा असत्य भी है। इस सम्बन्ध में भारत में जो सब अनुसन्धान हुए हैं, उन्हीं का सार, उन्हीं का फल मैं तुम्हारे सामने रखने का प्रयत्न करूंगा। भारतीय दार्शनिकों के इन सब विभिन्न मतों का समन्वय. तत्त्वचिन्तकों तथा मनोवैज्ञानिकों के सिद्धान्तों का समन्वय, और यदि हो सका तो, उनके साथ आधुनिक वैज्ञानिक चिन्तकों के सिद्धान्तों का भी समन्वय करने का मैं प्रयत्न करूँगा।
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