|
वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
|
|
||||||
स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
आत्मा का मुक्त स्वभाव
(५ नवम्बर १८९६ को लन्दन में दिया गया भाषण)
हम जिस कठोपनिषद् की चर्चा कर रहे थे, वह छान्दोग्योपनिषद् के, जिसकी हम अब चर्चा करेंगे, बहुत समय बाद रचा गया था। कठोपनिषद् की भाषा अपेक्षाकृत आधुनिक है, उसकी चिन्तन-शैली भी सब से अधिक प्रणालीबद्ध है। प्राचीनतर उपनिषदों की भाषा कुछ अन्य प्रकार की है। वह अति प्राचीन एवं बहुत कुछ वेद के संहिता-भाग की तरह है, और कभी-कभी तो सार तत्त्व में पहुँचने के लिए बहुत ही अनावश्यक बातों में से होकर जाना पड़ता है। इस प्राचीन उपनिषद् पर वेद के कर्मकाण्ड का, जिसके विषय में मैं तुमको बतला चुका हूँ और जो वेदों का दूसरा खण्ड है, काफी प्रभाव पड़ा है। इसीलिए इसका अधिकांश अब भी कर्मकाण्डात्मक है। तो भी, अति प्राचीन उपनिषदों के अध्ययन से एक बड़ा लाभ होता है, वह यह है कि उससे आध्यात्मिक भावों का ऐतिहासिक विकास जाना जा सकता है। (परमात्म साधना प्रबंधन की आधुनिक विधियों से निश्चित समय में तथा सुनियोजित विधि से नहीं की जा सकती, न ही विश्विविद्यालयों की उच्चतम कक्षाओं में सुनियोजित ढंग से पढ़कर की जा सकती है, यह तो जीवन को जीते हुए एक-एक बूंद द्वारा घड़े को भरने के समान प्रक्रिया होती है)
|
|||||






