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वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
अपेक्षाकृत आधुनिक उपनिषदों में ये आध्यात्मिक तत्त्व एकत्र संगृहीत एवं सज्जित पाये जाते हैं। उदाहरणार्थ भगवद्गीता में, जिसे अन्तिम उपनिषद् कहा जा सकता है, कर्मकाण्ड का लेशमात्र भी नहीं है। गीता उपनिषदों से संगृहीत अनेक पुष्पों से निर्मित एक सुन्दर गुच्छे जैसी है। किन्तु उसमें इन सब तत्त्वों का क्रमविकास देखने में नहीं आता, उनका स्रोत नहीं जाना जा सकता। आध्यात्मिक तत्त्वों के इस क्रमविकास को जानने के लिए हमें वेदों का अध्ययन करना होगा। वेदों को अत्यन्त पवित्र मानने के कारण संसार के अन्यान्य धर्मशास्त्रों की भाँति उनका अंग-भंग नहीं होने पाया। उनमें उच्चतम और निम्नतम दोनों प्रकार के विचारों को वैसे का वैसा ही रखा गया है- सार-असार, अति उन्नत विचार और साथ ही सामान्य छोटी-छोटी बातें, दोनों ही उनमें सुरक्षित हैं। क्योंकि किसी ने उनका स्पर्श करने का साहस नहीं किया। भाष्यकारों ने उनको सुसंगत बनाने और प्राचीन विषयों में से अद्भुत नये भावों को निकालने की चेष्टा की। उन्होंने अत्यन्त साधारण बातों में भी आध्यात्मिक तत्त्व देखने का प्रयास किया। किन्तु मूल जैसे का तैसा ही रहा, और इसीलिए वे ऐतिहासिक अध्ययन के लिए अनुपम विषय हैं।
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