वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
अब दार्शनिक आये। उपनिषदों का कार्य यहीं पर समाप्त हुआ प्रतीत होता है; उसके बाद का कार्य दार्शनिकों ने हाथ में लिया। उपनिषदों ने उन्हें मुख्य ढाँचा प्रदान किया और उनका कार्य था उसे ब्योरों से पूर्ण करना। अतएव, बहुत से प्रश्नों का उठना स्वाभाविक था। यदि यह स्वीकार किया जाए कि एक निर्गुण तत्त्व ही परिदृश्यमान नाना रूपों से व्यक्त हो रहा है, तो यह जिज्ञासा होती है कि एक क्यों अनेक हुआ? यह उसी प्राचीन प्रश्न को नये ढंग से पूछना है, जो अपने अमार्जित रूप में मानव हृदय में उत्पन्न होता है, और जगत में दुःख और अशुभ का कारण जानना चाहता है। उस प्रश्न ने स्थूल भाव त्यागकर सूक्ष्म, अमूर्त रूप धारण कर लिया है। अब हमारी इन्द्रियसीमित दृष्टि से नहीं, बल्कि दार्शनिक दृष्टि से यह प्रश्न किया जा रहा है कि हम दुःखी क्यों हैं, क्यों वह एक तत्त्व अनेक हुआ? इसका उत्तर–सर्वोत्तम उत्तर–भारत में मिला। वह है मायावाद, जो कहता है कि वास्तव में वह अनेक नहीं हुआ, वास्तव में उसके प्रकृत स्वरूप की लेशमात्र भी हानि नहीं हुई। यह अनेकत्व केवल आभासिक है। मनुष्य केवल ऊपरी दृष्टि से व्यक्ति के रूप में प्रतीत हो रहा है, किन्तु वास्तव में वह निर्गुण पुरुष है। ईश्वर भी आपाततः ही सगुण या व्यक्ति के रूप में प्रतीत हो रहा है, वास्तव में वह निर्गुण पुरुष है।
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