वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
|
|
स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
इस उत्तर के लिए भी विभिन्न सोपानों में से जाना पड़ा, दार्शनिकों में मतभेद हुए। मायावाद भारत के सभी दार्शनिकों को मान्य नहीं था। सम्भवतः उनमें से अधिकांश दार्शनिकों ने इस मत को स्वीकार नहीं किया। एक अपरिमार्जित द्वैतवाद में विश्वास करनेवाले कुछ द्वैतवादी हैं, जो इस प्रश्न को उठने ही नहीं देते; इसके उदित होते ही वे इसे दबा देते हैं। वे कहते हैं, “तुमको ऐसा प्रश्न करने का अधिकार नहीं है। 'क्यों इस तरह हुआ', इसकी व्याख्या पूछने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं। वह तो ईश्वर की इच्छा है, और हमें शान्त भाव से उसे सिर-आँखों पर लेना होगा। जीवात्मा को कुछ भी स्वाधीनता नहीं है। सब कुछ पहले से ही निर्दिष्ट है। हम क्या-क्या करेंगे, हमें क्या-क्या अधिकार हैं, हम क्या-क्या सुख-दुःख भोगेंगे- सब कुछ पहले से ही निर्दिष्ट है। जब दुःख आये, तो धैर्य से उन सब का भोग करते जाना ही हमारा कर्तव्य है। यदि हम ऐसा न करें, तो और भी अधिक कष्ट पाएँगे। हमने यह कैसे जाना?- क्योंकि वेद ऐसा कहते हैं।" फिर उनके अपने ग्रन्थ हैं एवं ग्रन्थों की अपनी व्याख्या है, और वे उनका उपदेश करते हैं।
|