वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2020
पृष्ठ :602
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 7
आईएसबीएन :1234567890

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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान

(जड़ अर्थात् निष्क्रिय और चेतन अर्थात् सक्रिय)। पहले आत्मा के स्वाभाविक मुक्त और बद्ध भाव-सम्बन्धी जो विचार का प्रसंग उठा था, जड़वाद और आत्मवाद का तर्क उसी का स्थूल रूप है। दर्शनों का सूक्ष्म रूप से विश्लेषण करने पर तुम देखोगे कि उनको भी इन दो मतों में से किसी न किसी में परिणत किया जा सकता है। अतएव यहाँ भी एक दार्शनिक तथा जटिल रूप में हमें स्वाभाविक पवित्रता और मुक्ति का वही प्रश्न मिलता है। एक दल कहता है कि मनुष्य का तथाकथित पवित्र और मुक्त-स्वभाव भ्रम है, (मुक्त की व्याख्या हम पहले ही देख चुके हैं, इसी प्रकार पवित्र वह जिसमें एक ही तत्व होता है और अन्य किसी तत्व का मिश्रण नहीं हुआ हो, अब हमें अपने अंदर यह ढूँढना है कि हममें क्या है जो पवित्र है) और दूसरा बद्ध-भाव को भ्रमात्मक मानता है। यहाँ भी हम दूसरे दल से सहमत हैं- हमारा बद्ध-भाव ही भ्रमात्मक है।

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