वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
फिर भी द्वैतवादियों के धर्म में अनेक उत्तम-उत्तम भाव हैं। प्रकृति से पृथक् हमारे एक उपास्य और प्रेमास्पद ईश्वर हैं- ऐसा सगुण ईश्वरवाद अपूर्व है। इससे प्राणों में शीतलता आती है। पर वेदान्त कहता है, प्राणों की यह शीतलता अफीम खानेवालों के नशे के समान अस्वाभाविक है। इससे दुर्बलता आती है, और आज संसार में बल-संचार की जितनी आवश्यकता है, उतनी और कभी नहीं थी। वेदान्त कहता है- दुर्बलता ही संसार में समस्त दुःख का कारण है, इसी से सारे दुःख-कष्ट पैदा होते हैं। हम दुर्बल हैं, इसीलिए इतना दुःख भोगते हैं। हम दुर्बलता के कारण ही चोरी-डकैती, झूठ-ठगी तथा इसी प्रकार के अनेकानेक दुष्कर्म करते हैं। दुर्बल होने के कारण ही हम मृत्यु के मुख में गिरते हैं। जहाँ हमें दुर्बल बनानेवाला कोई नहीं है, वहाँ न मृत्यु है, न दुःख। हम लोग केवल भ्रान्तिवश दुःख भोगते हैं। इस भ्रान्ति को दूर कर दो, सभी दुःख चले जाएँगे। यह तो बहुत सरल बात है। इन सब दार्शनिक विचारों और कठोर मानसिक व्यायाम में से होकर अब हम संसार के सब से सहज और सरल आध्यात्मिक सिद्धान्त पर आते हैं।
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