वेदान्त >> वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यान वेदान्त पर स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानस्वामी विवेकानन्द
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स्वामी जी द्वारा अमेरिका और ब्रिटेन में वेदान्त पर दिये गये व्याख्यान
अद्वैत-वेदान्त ही आध्यात्मिक सत्य का सब से सहज और सरल रूप है। भारत और अन्य सभी स्थानों में द्वैतवाद की शिक्षा देना एक बहुत बड़ी भूल थी, क्योंकि उससे लोग चरम तत्त्वों की ओर ध्यान न देकर केवल प्रणाली से ही उलझे रहे और वह प्रणाली सचमुच बड़ी जटिल थी। (वास्तविकता में हम अबोध बालक की भाँति हैं, जिसे पुनश्च कहना पड़ता है कि तुम बहुत अच्छे हो, बलशाली हो, सुंदर हो, योग्य हो, ताकि उसका आत्मविश्वास बढ़ता रहे और उसे अपने संबंध में भ्रम बना रहे) अधिकांश लोगों के लिए ये प्रकाण्ड दार्शनिक एवं नैयायिक प्रक्रियाएँ भयावह थीं। उनकी समझ में इन सब को सार्वजनिक नहीं बनाया जा सकता और न उनका पालन ही प्रतिदिन के जीवन में सम्भव है। उनको यह भी भय था कि इस प्रकार के दर्शन की आड़ में जीवन में बड़ी शिथिलता आ जाएगी।
पर मैं तो यह बिलकुल नहीं मानता कि संसार में अद्वैत-तत्त्व के प्रचार से दुर्नीति या दुर्बलता बढ़ेगी। बल्कि मुझे इस बात पर अधिक विश्वास है कि दुर्नीति और दुर्बलता के निवारण की वही एकमात्र औषधि है। यही यदि सत्य है, तो लोगों को गंदला पानी क्यों पीने दिया जाए, जब पास ही अमृत-स्रोत बह रहा है? यदि यही सत्य है कि सभी शुद्धस्वरूप हैं, तो इसी क्षण सारे संसार को इसकी शिक्षा क्यों न दी जाए? साधु-असाधु, स्त्री-पुरुष, बालक-बालिका, छोटे-बड़े, सिंहासनासीन राजा और रास्ते में झाड़ू लगाने वाले भंगी- सभी को डंके की चोट पर यह शिक्षा क्यों न दी जाए?
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